
कुड़ेकेला. छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल अपने तेजतर्रार रवैये को लेकर खासे लोकप्रिय हैं। खासकर राजस्व मामलों में गड़बड़ी की बात सामने आने पर उनकी गहरी नाराजगी देखने को मिलती है और दोषी पाए जाने पर कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी। हालांकि, उनकी इस कार्यशैली के बावजूद प्रदेश में जमीन फर्जीवाड़े में पटवारियों की संलिप्तता की खबरें आती रहती हैं। कुछेक मामलों में कार्रवाई भी की जाती है लेकिन जहां मामला हाई प्रोफाइल होता है वहां पर संबंधित अधिकारी अपने अधिकार का खुलकर इस्तेमाल कर पाने की स्थिति में नजर नहीं आते हैं। हालांकि, ऐसी स्थिति के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यह अघोषित सत्य है कि आज भी सच को सही साबित करना काफी मुश्किल काम है। बहरहाल, एक ऐसा ही मामला घरघोड़ा तहसील क्षेत्र का है। जहां घरघोड़ा हल्का के पूर्व पटवारी आर के जायसवाल पर एक स्थानीय व्यवसायी नरेश अग्रवाल ने जमीन फर्जीवाड़े को लेकर काफी संगीन आरोप लगाए हैं। जिनमें कूटरचना कर फर्जी खसरा तैयार कर अपने निजी स्वार्थ के लिए तीसरे पक्ष को लाभ पहुंचाने और प्रार्थी के हिस्से की जमीन में से कुछ हिस्से को दूसरे के नाम पर चढ़ाते हुए खुद को नुकसान पहुंचाने के आरोप शामिल हैं। उन्होंने इसकी शिकायत स्थानीय प्रशासन को दी है जिस पर सुनवाई जारी है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकारी ने प्रार्थी को आश्वासन दिया है कि जल्द ही उनकी जमीन उन्हें वापस मिल जाएगी। इन सबके बीच इस मामले में घरघोड़ा के तत्कालीन पटवारी आर के जायसवाल के कारनामों की फेहरिस्त लम्बी होती जा रही है। दरअसल, इस मामले में नरेश ने पटवारी पर पांच फर्जी खसरा नम्बर तैयार कर उसे किसी लिंगराज पंडा के नाम करने और उसके बाद उनका बंटवारा करने का आरोप लगाया है। इस मामले में हमारी स्वतंत्र पड़ताल में यह बात सामने आई है कि जिन अतिरिक्त 5 खसरा नंबर की भूमि के फर्जीवाड़े का आरोप लगा है वह प्रथमदृष्टया सही है। इस पूरे मामले में इन 5 खसरा नंबरों के सृजन करने के आरोप को और बल तब मिलते हैं जब यह बात सामने आती है कि जिस आदेश के आधार पर इन पांच खसरा नंबरों की भूमि को लिंगराज व उसके रिलेटिव के बीच बंटवारा किया गया है उस आदेश में इन 5 खसरा नंबरों का कहीं भी उल्लेख नहीं है। इसके अलावा विभागीय आंकड़ों के अवलोकन से यह पता चला है कि इन 5 भू खण्डों में से फिलहाल सिर्फ दो प्लॉट का नक्शा काटा गया है, बाकी के तीन का नही। उसमें भी जिन दो प्लॉटों का नक्शा काटा गया है उसमें से एक जमीन से सरकारी जमीन सटा हुआ है। इसके अतिरिक्त बंटवारे के संबंध में लिंगराज पंडा के एक अन्य केस में भी इन 5 भू खण्डों का कोई उल्लेख नहीं है। किसी भी केस में इन अतिरिक्त 5 प्लॉटों का जिक्र नहीं हो पाना महज इत्तेफाक नहीं है, लिपिकीय त्रुटि तो बिलकुल नहीं मानी जा सकती। इस पड़ताल में इन सब के अलावा भी कई ऐसी चीजें सामने आई है जिनसे संबंधित पटवारी की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं। बहुत जल्द इस मामले की अपनी अगली रिपोर्ट में हम उन बातों को भी सामने रखेंगे। बहरहाल, घरघोड़ा तहसीलदार इस केस की जांच कर रहे हैं। प्रार्थी नरेश ने कहा कि इस मामले में फैसला जल्द और हमारे पक्ष में आने की उम्मीद है।
क्या कहते हैं अधिकारी
घरघोड़ा तहसीलदार विद्याभूषण साव से जब इस मामले को लेकर चर्चा किया गया तो उनका कहना था कि मामले की26 अप्रैल को पेशी है। उस दिन निराकरण कर विधिवत भूस्वामी को उसके हक की भूमि पर कब्जा दे दिया जायेगा।