बिना चढ़ावा नजूल विभाग में फाइल भी सुरक्षित नहीं, अधिकारी के सुस्त कार्यप्रणाली से कर्मचारी भी हुए बेपरवाह

Mohsin Khan
Mohsin Khan 3 Min Read

 

रायगढ़. नजूल विभाग रायगढ़ आम जनता की बजाए रसूखदार लोगों का विभाग ज्यादा नजर आता है। यहां की व्यवस्था आज भी वैसी ही चली आ रही है जो तीन दशक पूर्व थी। मनमाने अधिकारियों का बोलबाला और लापरवाह कर्मचारियों का यहां जमावड़ा है। आलम यह है कि यहां के बाबुओं को चढ़ावा न चढ़ाया जाय तो फाइल भी सुरक्षित नहीं रहती। जिस फाइल में 7 माह से प्रकरण चला हो वह फाइल भी गायब हो जाय तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी। बताया जा रहा है कि वर्तमान में भी यही हो रहा है। नजूल अधिकारी की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण यहां के कर्मचारी भी बेलगाम और बेपरवाह हो गए है। राज्य शासन की विभिन्न योजनाओं के तहत व्यवस्थापन की व्यवस्था लोगों को प्रदान की गई है। लेकिन यही योजना नजूल में बैठे आरआई, बाबुओं और अधिकारी के लिए मोटी कमाई का जरिया बन गया है। रसूखदारों और धनाढ्य लोगों का काम तो चंद दिनों में कर दिया जाता है लेकिन सामान्य लोगों की फाइल बेवजह अटका दी जाती है। मसलन 152 प्रतिशत योजना के तहत पट्टा देने में भी नजूल विभाग को परेशानी हो रही है। जबकि इस्तिहार प्रकाशन के बाद दावा आपत्ति मंगाया जाता है। किसी तरह की आपत्ति नहीं होने पर आरआई और नजूल अधिकारी मौके का निरीक्षण करते हैं तब जाकर पट्टा बनाया जा सकता है। लेकिन रायगढ़ नजूल विभाग में यदि आपने आरआई, बाबुओं और अधिकारी को चढ़ावा नहीं चढ़ाया तो सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी आपकी फाइल आगे नहीं बढ़ेगी। बावजूद आपको यह समझ नहीं आया कि ऐसा क्यों हो रहा है तो आपको बता दें कि ऐसा चढ़ावा नहीं देने के कारण हो रहा है। कुछ महीने बाद वह फाइल ही पूरी तरह से गायब कर दी जाती है। नजूल विभाग में लंबे समय से जमे बाबू बड़ी आसानी से फाइल गुम जाने की बात कह देते है। यह सब निष्क्रिय अधिकारी के कारण भी हो रहा है। जिसके कारण राज्य सरकार की विस्थापन की योजना का लाभ आम लोगों को नहीं मिल रहा है। अब नजूल विभाग में फैले अराजकता और नजूल अधिकारी के सुस्त कार्यप्रणाली पर लगाम लगाने लोगों की निगाहें संवेदनशील कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा पर टिकी हुई है।

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