Raigarh News: अदाणी फाउंडेशन ने तमनार प्रखण्ड में बड़े ही हर्षोल्लास से मनाया विश्व आदिवासी दिवस, 500 से अधिक ग्रामीणों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को सफल बनाया

Mohsin Khan
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Raigarh News: तमनार. विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर अदाणी फाउंडेशन ने रायगढ़ जिले में आदिवासी सम्मान समारोह का आयोजन किया। जिले के तमनार प्रखण्ड के ग्राम मिलूपारा के रीपा गौठान में गुरूवार को एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें शैक्षणिक वर्ष 2023-24 में अदाणी फाउण्डेशन द्वारा संचालित निःशुल्क कोचिंग क्लास के माध्यम से जवाहर नवोदय, एकलव्य, उत्कर्ष तथा सैनिक विद्यालय में चयनित कुल 24 विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र तथा उपहार देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी अदाणी फाउण्डेशन द्वारा आदिवासी कला एवं संस्कृति पर आधारित ‘सुआ’ नामक पत्रिका संपादित की गई। जिसका विमोचन लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र की विधायक श्री मती विद्यावती कुंज बिहारी सिदार एवं अन्य गणमान्य नागरिकों द्वारा किया गया। पत्रिका के विषय को ध्यान में रखते हुए ग्राम मिलूपारा के आदर्श ग्राम्य भारती तथा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के 50 विद्यार्थियों के द्वारा सुवा तथा अन्य छत्तीसगढ़ी गीतों पर नृत्य प्रस्तुत किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य रायगढ़ अंचल में पुरातन मूल की संस्कृति, सभ्यता, वेशभूषा इत्यादि की मान्यताओं तथा परंपराओं का संरक्षण करने तथा उनके उन्नयन हेतु प्रेरित करना था।

 

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र की विधायक श्री मती विद्यावती कुंज बिहारी सिदार शामिल हुईं। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम पंचायत मिलूपारा के सरपंच कलावती टिकम सिदार द्वारा की गई। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बंशीधर चौधरी, यादलाल नायक, जागेश सिदार, संतोषी डनसेना, नित्यानंद नायक, बहादुर सिदार, रामसाय भगत, ईयाराम सिदार, ओतराम सिदार उपस्थित रहे। कार्यक्रम में अदाणी इन्टरप्राइजेज के तमनार क्लस्टर प्रमुख मुकेश कुमार ने सीएसआर की विगत वर्ष उपलब्धियां साझा करते हुए आगामी सीएसआर की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी प्रदान की। इस कार्यक्रम में 500 से अधिक स्थानीय ग्रामीणों ने हिस्सा लिया।

अदाणी समूह की अदाणी फाउंडेशन द्वारा रायगढ़ जिले के तमनार और पुसौर प्रखण्ड में ग्रामीण ढांचागत विकास में किए गए प्रयास ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने, टिकाऊ प्रथा को बढ़ावा देने और पूरे अञ्चल में समावेशी विकास की एक प्रभावी पहल है। इसके साथ ही अंचल में शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका विकास और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य किए जा रहे है, जिससे क्षेत्र में औद्योगिक और संरचनात्मक ढांचागत स्थिरता को बढ़ाने में मदद तो मिल ही रही है। साथ ही इन कार्यों ने समाज में भी विभिन्न स्तरों पर लोगों को प्रभावित किया है।

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