रायगढ़. ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने एवं लघु उद्योग स्थापित करने हेतु प्रेरित करने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा ग्रामीण औद्योगिक पार्क (रीपा) योजना प्रारंभ किया गया है। योजना के माध्यम से जहां नये उद्यमियों को उद्योग प्रारंभ करने के अवसर मिल रहे है, वहीं पारंपरिक व्यवसायिक गतिविधियों को रीपा के साथ जोड़कर संरक्षित करने के साथ ग्रामीणों को आत्मनिर्भर बनाने का काम भी कार्य किया जा रहा है। इससे स्थानीय स्तर पर वृहत गतिविधियां संचालित होने से लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार भी प्राप्त हो रहे है। वहीं पारंपरिक गतिविधियों के संचालन से ग्रामीणों के आय संवर्धन में भी महती भूमिका निभा रही है।
कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के निर्देशन में जिले के 7 विकासखण्डों में 14 ग्रामीण औद्योगिक पार्क की स्थापना की गई है। जहां सुव्यवस्थित अधोसंरचना विकास हेतु सड़क, पानी, बिजली, शेड, शौचालय जैसे सभी प्रकार की व्यवस्थाएं की गई है। प्रत्येक रीपा में औद्योगिक पार्क के व्यवस्थाओं के सुचारू संचालन हेतु मैनेजर की नियुक्ति की गई है। साथ ही प्रत्येक रीपा में आयमूलक 5 से 6 गतिविधियां प्रस्तावित है। जिसमें महिला एवं पुरूष मिलाकर कुल 187 हितग्राही शामिल है। जिनमें कुल हितग्राहियों में व्यक्तिगत हितग्राहियों के अलावा स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी गतिविधियां संचालित कर रही है। वर्तमान में जिले के 14 ग्रामीण औद्योगिक पार्क में कुल 41 लाख 14 हजार रुपये का उत्पादन किया गया है। जिसमें 36 लाख 12 हजार रुपये का विक्रय किया जा चुका है तथा लगभग 5 लाख 2 हजार रूपये की उत्पादित सामग्री विक्रय हेतु शेष है। विक्रय के पश्चात 12 लाख 6 हजार रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ है।
इन स्थानों में रीपा हो रहे संचालित
जिले के 7 विकासखण्ड अंतर्गत खरसिया में भूपदेवपुर एवं बोतल्दा, घरघोड़ा में बैहामुड़ा व ढोरम, तमनार में तमनार व मिलूपारा, धरमजयगढ़ में दुर्गापुर व बरतापाली, पुसौर में सूपा व तरडा, रायगढ़ में पण्डरीपानी पं. व डोंगीतराई तथा लैलूंगा में कोड़ासिया व मुकडेगा में ग्रामीण औद्योगिक पार्क संचालित की जा रही है।
तरडा में महिलाएं बुन रही संबलपुरी साड़ी
रीपा योजना के माध्यम से उद्यमियों को बेहतर अवसर मिल रहा है। यही कारण है कि यहां निजी उद्यमियों के साथ ही समूह की महिलाएं भी बेहतर कार्य कर रही है। जिसका उदाहरण तरडा गौठान में महिलाएं संबलपुरी साड़ी बना रही है। जिसकी मांग स्थानीय बाजार के साथ ही पड़ोसी राज्य उड़ीसा में भी है। लिहाजा समूह की महिलाएं स्थानीय मांग की पूर्ति करते हुए अन्य राज्यों में भी बिक्री के लिए साड़ी तैयार कर रही है। वहीं सूपा गौठान में गोबर से पेंट बनाकर अच्छी आय अर्जित की जा रही है साथ ही वहां स्थानीय ग्रामीण द्वारा फेब्रिकेशन का कार्य किया जा रहा है।
रीपा में विभिन्न उद्यम हो रहे संचालित
रीपा योजनान्तर्गत मूर्ति निर्माण, सीमेंट गमला निर्माण, मुर्रा मिल का क्रियान्वयन, मशरुम उत्पादन, फ्लाई ऐस ब्रिक्स, फेब्रिकेशन, पोल्ट्री फार्म जैसे अनेकों उद्यम संचालित हो रहे है, वहीं कृषि एवं उद्यानिकी के गतिविधियां भी संचालित किए जा रहे है। एफपीओ के माध्यम से किसानों को लाभ दिलाया जायेगा। जिससे की एफपीओ अपना भण्डारण, प्रसंस्करण, पैकिंग तथा ब्रांडिंग कर जैविक उत्पाद को अच्छे तरीके से बाजार में बेच सके। रीपा से महिला एवं पुरुष दोनों को लाभ दिए जाने की मंशा से कार्य को किया जा रहा है। रीपा उद्यमियों को केवीके/आरसेटी प्राइवेट कंपनियों से प्रशिक्षण की व्यवस्था की जा रही है। जिससे की वो पूर्ण दक्षता के साथ अपने कार्य को कर पाए एवं अच्छी आय सुनिश्चित हो।
रीपा योजना से मिलेंगे रोजगार के अवसर
शासन की महत्वाकांक्षी योजना रीपा के तहत इच्छुक बड़े किसान, छोटे उद्यमी, एसएचजी की महिलायें एवं पुरुष सभी को शासन की तरफ से आवश्कतानुसार अनुसार वर्किंग शेड, बिजली व्यवस्था, पानी, पार्किग इत्यादि की सुविधाएं प्रदाय की जा रही है, जिससे की वो अपना उद्यम आसानी से लगा सकें। जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजित होंगे एवं ग्रामीण, बेरोजगार युवक-युवतियों को काम मिल सकेगा।