ट्रेप कैमरे में तेंदुए की तस्वीर हुई कैद, शावक भी आ रहे नजर, पदचिन्हों के साथ तेंदुए के मिल रहे कई प्रमाण, अन्य वन्यप्राणियों की भी भरमार, पूरी खबर आगे पढ़े….

Mohsin Khan
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मोहसिन खान@रायगढ़. गोमर्डा अभ्यारण्य में अगर आप घूमने आए हैं, तो कभी भी आपको तेंदुआ नजर आ सकता है। हांलाकि इसे शर्मिला जानवर माना जाता है और हर किसी के किस्मत में इसे खुले में विचरण करते देखना नसीब नहीं होता, पर जरूर गोमर्डा अभ्यारण्य के ट्रेप कैमरो की निगरानी से यह बच नहीं पा रहे और अक्सर इन कैमरों में इनकी तस्वीर खींच जाती है। अब यह भी माना जा रहा है कि गोमर्डा अभ्यारण्य में पहले की अपेक्षा तेंदुओं की संख्या बढ़ गई है और आए दिन इनके प्रमाण भी किसी न किसी तरह से मिल रहे हैं।
गोमर्डा अभ्यारण्य के जंगल में अलग अलग जगह पर करीब नौ ट्रैप कैमरे लगे हैं। जिसमें अक्सर वन्यप्राणियों की तस्वीर खींची देखी जा रही है, तो पिछले दिनों इसमें तेंदुआ व उसके शावक की भी तस्वीर कैद हो गई। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि तेंदुआ व उनके शावकों के पदचिन्ह के साथ ही अन्य प्रमाण भी आए दिन मिल रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अब इनकी संख्या भी पहले की अपेक्षा बढ़ गई है। गर्मी का मौसम होने के कारण अब अन्य वन्यप्राणी भी बढ़े ही आसानी से यहां देखे जा रहे हैं।

पर्यटकों को लुभा रहा अभ्यारण्य
विभागीय अधिकारियों की माने तो कई वन्यप्राणी आसानी से देखे जाते हैं। इसमें चीतल, कोटरी, नीलगाय, बायसन, मोर, खरगोश के साथ ही अन्य वन्यप्राणियों की भरमार है और अब इन्हें देखने जाने वालों की भी पर्यटकों को भी गोमर्डा अभ्यारण्य काफी लुभा रहा है।


वन अमला सर्तक, लगातार कर रहे मानिटरिंग
गोमर्डा अभ्यारण्य काफी घना जंगल है और कई तरह के वन्यप्राणी यहां पाए जाते हैं। ऐसे में विभागीय अधिकारी भी पूरी तरह सर्तक हैं और लगातार यहां की माटिरिंग कर रहे हैं। चप्पे चप्पे पर वन अमला निगरानी करते हुए जंगल व वन्यप्राणियों की सुरक्षा में लगा हुआ है और यही कारण है कि पिछले कुछ सालों की अपेक्षा में वन्यप्राणियों की संख्या भी लगातार यहां बढ़ रही है।

वर्सन

ट्रैप कैमरे में तेंदुए व उसके शावक की तस्वीर कैद हुई है। पूर्व की अपेक्षा इनकी संख्या भी बढ़ी है। साथ ही अन्य वन्यप्राणी भी काफी संख्या में देखे जा रहे हैं। विभागीय अमला पूरी तरह सर्तक है और लगातार जंगल गस्त करते हुए मानिटरिंग किया जा रहा है। तेंदुए की मौजूदगी को देखते हुए समय समय पर ग्रामीणों को जंगल की ओर जाने से मना करने के साथ ही गांव में मुनादी कराया जाता है।
राजू सिदार, वन परिक्षेत्र अधिकारी, गोमर्डा अभ्यारण्य

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