रायगढ़. जिले में तमनार विकासखंड के ग्राम खम्हरिया की एक स्वसहायता समूह की महिलाओं ने कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य कर दिखाया है। अदाणी फाउंडेशन के मार्गदर्शन में इन महिलाओं द्वारा गांव की करीब चार एकड़ पड़त जमीन को खेतीहर बनाने में सफलता पाई है। जी हाँ यह कार्य गारे पेलमा III परियोजना के पास के ग्राम खमरिया में स्थित ‘गौरी महिला स्वसहायता समूह’ की दस महिला सदस्यों द्वारा किया गया है। इन महिलाओं ने गांव की 3.81 एकड़ पड़त भूमि (खेती के लिए अनुपयोगी जमीन) को कृषि योग्य बनाकर उसमें जैविक तरीके से सब्जियों की खेती आरम्भ किया गया है।
* प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप ग्रामों में करा रहे अनुसरण*
अदाणी फाउंडेशन द्वारा अपने विभिन्न सामाजिक सहभागिता कार्यक्रमों (सीएसआर) में छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा के अनुरूप पड़त भूमि को उपयोगी बनाकर कृषकों की आय वृद्धि के कार्य करवाए जा रहे हैं। जिनमें ग्रामीण महिलाओं की सशक्तिकरण तथा आजीविका संवर्धन के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियाँ जैसे मशरूम, फिनाईल, लाख उत्पादन, लघु वनोपज संग्रहण, कौशल विकास तथा सामूहिक खेती इत्यादि भी शामिल है।
* जीविकोपार्जन हेतु दिखाई प्रतिभा लेकिन क्या करें किनसे मांगे मदद तब अदाणी फाउंडेशन ने की इनकी मदद*
गांव के भूमिहीन परिवारों से आने वाली दस महिला सदस्यों का यह समूह अपने जीविकोपार्जन के लिए उत्सुक तो थीं लेकिन क्या करें और अपने परिवार की आर्थिक मदद कैसे करें यह समझ में नहीं आ रहा था। अदाणी फाउंडेशन के सामाजिक सहभागिता कार्यक्रमों (सीएसआर) गतिविधियों के दौरान इन महिलाओ के साथ जीविकोपार्जन से जोड़ने के लिए बैठक की गयी जिसमे इन महिलाओ ने कृषि कार्य करने की रूचि और उत्साह जाहिर किया।
* अदाणी फाउंडेशन ने भूमि और कृषि उपयोगी सामग्रियों से की मदद*
अदाणी फाउण्डेशन की टीम ने उनकी रूचि और उत्साह को देखते हुए उसी गांव के तीन कृषकों की लगभग चार एकड़ अनुपयोगी भूमि इन महिलाओं को पांच वर्ष के अनुबंध के साथ लीज पर दिलाया। साथ ही भूमि को कृषि योग्य बनाने हेतु भूमि समतलीकरण तथा एक बोर खनन कर सिंचाई की व्यवस्था की, कृषि कार्य प्रारंभ करने हेतु उन्नत किस्म के बीज, सिंचाई हेतु पाईप, खाद और उर्वरक इत्यादि की व्यवस्था की। समूह की महिलाओं ने उक्त भूमि पर सब्जी की खेती करना प्रारंभ किया।
* दो वर्षों में 4 लाख के करीब पहुंची समूह की आय
इन महिलाओं की मेहनत रंग लाई और प्रथम प्रयास में ही उन्होने बरबट्टी. करेला, बैगन, मिर्च, मटर व भिंडी का अच्छा उत्पादन करने में सफल हुईं। इस समूह द्वारा वर्ष 2021-22 के दौरान 2.09 लाख की आय अर्जित की गई जबकि मौजूदा वर्ष के दौरान कुल 3.81 लाख की आय अर्जित कर चुकी हैं।
* क्या कहतीं हैं समूह की महिलाएँ*
‘गौरी महिला स्वसहायता समूह’ की अध्यक्ष श्रीमती यशोदा बेहरा ने बताया कि, ” हमारा समूह दिसंबर 2016 को गठित हुआ था। पहले हम सभी सदस्य प्रति माह केवल बचत राशि जमा करते थे। लेकिन हमारा हमेशा से मन था कि समुह में कुछ काम कर आगे बढ़ें। इसी बीच अदाणी फाउंडेशन के साथ हमारे समूह की बैठक हुई जिससे हमें सामूहिक खेती करने के लिए प्रोत्साहन मिला। उन्होंने गांव के कुछ बड़े किसानों की अनुपयोगी जमीन हमें लीज में दिलाई और साथ में जमीन का समतलीकरण, बोर खनन, उन्नत बीज, ड्रिप इरिगेशन इत्यादि का सहयोग किया, जिससे हमने खेती की शुरुआत कर अच्छे उत्पादन में हमें सफलता और अच्छी आय अर्जित हुई। आज हमें गर्व की अनुभूति होती है।”
समूह की सचिव श्रीमती गोमती निषाद ने बताया कि, “मुझे खेती करने में रुचि थी, लेकिन हमारे पास जमीन नहीं होने की वजह से खेती नहीं कर पा रहे थे. तो हमारे लिए ये सामूहिक खेती का काम सुनहरे अवसर से कम नहीं था। मैंने समूह में आगे बढ़कर इस काम को मेहनत और लगन से किया जिससे हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार आया। आज हम महिलायें अदाणी फाउंडेशन कि वजह से अपने पैरों पर खड़ी हो पायीं हैं। हमें किसी के आगे हाथ फैलाना नहीं पड़ता है। बच्चों कि पढाई से लेकर घर के अन्य खर्चों में हमारा सहयोग रहता है। आज हमें घर में सम्मान मिलता है, सामाजिक रूप से लोग हमारी बात सुनते हैं, जो हमें बहुत अच्छा लगता है।
* एकीकृत खेती कर लाभ कमाने की योजना है वर्षों का सपना हो गया साकार*
आज महिलाएं अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद करने में सक्षम हो गई हैं। जिसके लिए वे अदाणी फाउण्डेशन की टीम का तहेदिल से आभार व्यक्त करतीं हैं और कहतीं हैं कि आज हम जो भी कार्य कर रहे हैं उसके लिए हमें अदाणी फाउण्डेशन से प्रेरणा व सहयोग मिला है जिससे हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार आया है। वर्तमान में इन महिलाओं द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अंतर्गत लगभग 2 एकड़ में टपक सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) स्थापित किया गया है. जिससे कृषि लागत में कमी आई है और लाभ में वृद्धि हुई है, भविष्य में दुग्ध व्यवसाय व नेटहाउस का निर्माण कर उन्नत व एकीकृत खेती कर लाभ कमाने की योजना है।