Raigarh News: जयंत की मजबूत दावेदारी से रायगढ़ की सियासत में हलचल, आखिर जयंत क्यों माने जा रहें हैं टिकट के प्रबल दावेदार?

Mohsin Khan
Mohsin Khan 5 Min Read

 

Raigarh News: रायगढ़. छत्तीसगढ़ में विधान सभा चुनाव से पहले कांग्रेस में टिकट को लेकर उम्मीदवारों के बीच जोर आजमाइश शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ में उच्च नेतृत्व द्वारा कई विधान सभा में नए चेहरों पर दांव खेलने की बात सामने आने पर कांग्रेसियों के चेहरे खिल उठे हैं। इसी वजह से बड़ी संख्या में कांग्रेस नेताओं ने उत्साह पूर्वक अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। इसी कड़ी में कांग्रेस के कद्दावर नेता सभापति जयंत ठेठवार ने भी टिकट की दावेदारी प्रस्तुत कर रायगढ़ की सियासत में हलचल मचा दी है।

बड़ी संख्या में कांग्रेसियों की दावेदारी की चर्चा शहर की गलीयों, पनवाड़ी और चाय की दुकानों से लेकर गांव की आट तक हो रही है। दावेदारी के बाद टिकट की रेस में कौन-कौन शामिल है। टिकट किसे और क्यों मिल सकता है, इन सभी बातों पर कयासों और अटकलों का दौर जारी है। हमने रायगढ़ के कुछ राजनीतिक जानकारों से दावेदारों में बारे में उनकी प्रतिक्रिया जानने की कोशिश की तो बताया गया कि यदि विधायक प्रकाश नायक की टिकट कटती है तो जयंत ठेठवार बेहतर विकल्प के रूप में मजबूत दावेदार हैं। जयंत के बारे में सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने हमें तर्क भी बताया कि उनकी दावेदारी क्यों मजबूत नजर आ रही है। आईए जानते हैं जयंत के बारे में कुछ खास बातें जो उन्हें टिकट की प्रबल दावेदार बनाती है।

परिवार की विरासत जयंत की ताकत
जिले के ग्राम समकेरा, धौराभांठा के किसान स्व. हरीराम ठेठवार के परिवार में 4 जुलाई 1967 को जयंत का जन्म हुआ। पिता स्वर्गीय हरीराम ठेठवार अपने तीन भाइयों के साथ मूलत: खेती किसानी करते थे। एक संयुक्त पढ़े-लिखे परिवार के रूप में ठेठवार परिवार हमेशा से लोगों के बीच केंद्र बिंदु रहा है। ठेठवार परिवार अपने सेवा भाव के कारण यादव, उत्कल, साहू, केंवट, अग्रहरी और नाई समाज समेत गांव और पुरानी बस्ती के लोगों के मन में विशेष स्थान रखता है। अपने पिता और परिवार के गुणों को जयंत ने आत्मसात किया है। जयंत के बारे में एक बात अक्सर कही और सुनी जाती है की “वे अपने से जुड़े हर व्यक्ति के दुख में साथ खड़े रहकर उनकी हिम्मत बनते हैं। जयंत को पिता और परिवार से जनसेवा भाव और कुशाग्र बुद्धि विरासत में मिली है और यही विरासत उनकी सबसे बड़ी ताकत है।”

मजबूत सियासी सफर
जयंत ठेठवार के सियासी सफर की बात करें तो महज 27 साल की रूप में सियासी सफर शुरू करने वाले जयंत ने 1994 में पहली बार वार्ड पार्षद का चुनाव लड़ा था तब पुरानी बस्ती के लोगों ने उन्हें सर आंखों पर बिठाते हुए सर पर जीत का सेहरा बांध दिया। उसके बाद जयंत यही नहीं रुके। सन् 1999, 2004, 2009 और 2019 में लगातार पुरानी बस्ती से पार्षद निर्वाचित हुए। वर्ष 2014 में उनके वार्ड महिला के रिज़र्व हो गया था इस वजह से उन्होंने अपनी धर्मपत्नी अर्चना ठेठवार को चुनाव लड़वाया और भारी मतों से वे पार्षद चुनी गई। छह बार लगातार अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाला जयंत अब तक अजेय रहे हैं। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष के रूप में जयंत का कार्यकाल शानदार रहा। जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में रायगढ़ विधानसभा में कांग्रेस ने जीत हासिल की है। निगम चुनाव में सरकार बनाने में जयंत कांग्रेस के लिए तुरुप का इक्का साबित हुए हैं। वर्तमान में जयंत सभापति के तौर पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। रायगढ़ की सियासत में जयंत के कद का ग्राफ बहुत ऊपर है। आज आलम यह है कि जिले में कद्दावर नेताओं का जब नाम लिया जाता है तो जयंत ठेठवार का नाम प्रमुखता से सम्मानपूर्वक लिया जाता है।

 

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