रायगढ़ : ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अदाणी फाउंडेशन ने एक सराहनीय पहल की है। फाउंडेशन ने ग्राम डोलेसरा और सराईटोला की 100 महिलाओं को मशरूम उत्पादन का विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया। यह पहल अदाणी फाउंडेशन के महिला सशक्तिकरण, आत्मनिर्भरता और सामाजिक उत्थान के प्रयासों में एक और महत्वपूर्ण कदम है।
इस कार्यक्रम के तहत, महिलाओं को न केवल उन्नत किस्म के मशरूम बीज उपलब्ध कराए गए, बल्कि उन्हें मशरूम उत्पादन की आधुनिक तकनीक और व्यवसायिक पहलुओं पर भी प्रशिक्षित किया गया। प्रशिक्षण में महिलाओं को मशरूम की उपयुक्त किस्में, जैसे पेडिस्ट्रा और ओएस्टर, उगाने की विधियाँ सिखाई गईं। साथ ही, उपयुक्त पर्यावरण तैयार करने और व्यवसाय शुरू करने की बारीक जानकारी भी दी गई। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को नई तकनीकों से परिचित कराकर उनकी आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में मार्ग प्रशस्त करना है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियाँ आय का मुख्य स्रोत हैं। इस दृष्टि से, अदाणी फाउंडेशन ने विशेषज्ञों की मदद से ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन किया, जो महिलाओं को तकनीकी कौशल से जोड़ सकें। इस तरह, महिलाएँ न केवल अपनी आजीविका को बेहतर बना सकती हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी कदम बढ़ा सकती हैं।
ग्राम डोलेसरा की एक महिला प्रतिभागी सुनीता देवी ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “पहले हमें मशरूम की खेती के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं थी। अदाणी फाउंडेशन के प्रशिक्षण से हमने सीखा कि इसे कैसे उगाया जा सकता है और इससे आय अर्जित की जा सकती है। अब हम इसे अपने व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित हैं।”
सराईटोला की एक अन्य महिला प्रतिभागी राधिका बाई ने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि मशरूम उगाना इतना आसान हो सकता है। अब हम इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं।”
यह कार्यक्रम महिलाओं को केवल आर्थिक अवसर ही नहीं प्रदान करता, बल्कि उनके आत्मसम्मान और क्षमता का भी एहसास कराता है। प्रशिक्षण के बाद महिलाएँ मशरूम उत्पादन को घरेलू उपयोग और व्यावसायिक रूप से अपनाकर एक स्थिर आय अर्जित कर सकती हैं।
अदाणी फाउंडेशन का यह प्रयास ग्रामीण महिलाओं के जीवन में नई ऊर्जा और उम्मीद लेकर आया है। यह न केवल उनके आर्थिक विकास को सुनिश्चित करता है, बल्कि उनके सपनों को साकार करने का मार्ग भी दिखाता है। फाउंडेशन का उद्देश्य ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से ग्रामीण भारत में स्थायी और समावेशी विकास की दिशा में योगदान देना है।