रायगढ़. रायगढ़ जिला घनें जंगलों से घिरा हुआ है। ऐसे में यहां वन्य प्राणी भी काफी संख्या में मौजूद हैं जो आए दिन किसी न किसी तरह से अपनी मौजूदगी का एहसास कराते हैं। बात अगर हाथियों की करें तो रायगढ़ जिले में हाथियों की मौजूदगी साल भर होती है। चूंकि रायगढ़ ऐसा जिला है जिसमें दो वन मंडल हैं।
रायगढ़ व धरमजयगढ़ वन मंडल दोनों एक ही जिले में होनें से यहां हाथियों का आना जाना दोनों ही वन मंडल में लगा रहता है। वर्तमान स्थिति देखी जाए तो दोनों वन मंडल मिलाकर 60 से अधिक हाथी विचरण कर रहे हैं। इसमें हाथियों की धरमजयगढ़ वन मंडल में अधिक है। रायगढ़ में भी बीच-बीच में इनकी संख्या बढ़ते-घटते रहती है।
ग्रामीणों की उड़ जाती है नींद
हाथियों की मौजूदगी जब रायगढ़ जिले के जंगलों में ज्यादा हो जाती है तो प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों की नींद भी उड़ जाती है। अक्सर देखा जाता है कि शाम ढलने के बाद हाथियों का दल गांव के करीब खेतों तक पहुंच जाता है। इसके बाद मकानों के अलावा फसल को भी नुकसान पहंुचाता है। ऐसे में ग्रामीणों को कई बार रतजगा करने की मजबूरी बन जाती है। बात अगर धरमजयगढ़ वन मंडल की करें तो छाल के बोजिया, पुरंगा और धरमजयगढ़ के तराईमार बीट के तेंदुमार पोटिया और नागदरहा बीट में फसल नुकसान किया है।
यहां इतनी है हाथियों की संख्या
विभागीय आंकड़े के मुताबिक धरमजयगढ़ वन मंडल में आज की स्थिति में 54 हाथियों का दल विचरण कर रहा है जिसमें 12 नर, 26 मादा, 16 शावक शामिल है। ये हाथी छाल के लोटान, कीदा, बोजिया, छाल, बनहर, बेहरामार, पुरूंगा और धरमजयगढ़ के कोयलार राजा जंगल में, तराईमार, नागदरहा और क्रोंधा में विचरण कर रहे हैं। वहीं रायगढ़ वन मंडल में 09 हाथी विचरण कर रहे हैं। जिसमें रायगढ़ रेंज के पड़िगांव, कांटाझरिया पश्चिम, बंगुरसिया पश्चिम में 07 हाथी और घरघोड़ा का डेहरीडीह व बटुराकछार में हाथी 02 हाथियों की मौजूदगी है।
वर्सन
रायगढ़ रेंज में हाथियों की मौजदूगी है, प्रभावित गांवों में बचाव के उपाये बताए जा रहे हैं साथ ही साथ अकेले जंगल की ओर ग्रामीणों को नही जाने की समझाईश दी जा रही है। रायगढ़ जिले में साल भर हाथियों की मौजदूगी रहती है और विभाग लगातार उन पर निगरानी रखता है।
मनमोहन मिश्रा
उप वनमंडलाधिकारी रायगढ़ सब डिवीजन